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आज से करीब साढ़े पांच सौ वर्ष पहले पोकरण में तंवर कुल के राजा अजमाल राज्य करते थे। उनके एक पुत्री थी, लेकिन पुत्र नहीं था। राज्य में भयंकर अकाल पड़ने लगे।
राजा अजमाल द्वारकाधीश के बड़े भक्त थे। वे हर वर्ष उनके दर्शन करने जाते थे। अब उनसे न रहा गया। क्रोध में आकर उन्होंने भगवान् द्वारकानाथ की मूर्ति पर लड्डू दे मारा और स्वयं जाकर समुद्र में कूद पड़े। समुद्र में शेषनाग पर सोये हुये विष्णु भगवान ने उन्हें दर्शन दिये और वरदान दिया कि वे स्वयं उनके घर में अवतार लेंगे।
और इस प्रकार, स्वयं भगवान् ने अजमाल के घर रामदेव के रूप में अवतार लिया। बाल्यकाल में ही रामदेव ने अछूतों को गले लगाना शुरू किया। योगिराज कुंभेश्वर को यह अच्छा न लगा। उन्होंने पग पग रामदेव की राह में कांटे बिखेरे लेकिन हमेशा मुंह की खानी पड़ी। रामदेव ने अपने बाल्यकाल में ही भैरव राक्षस का वध किया।
रामदेव का विवाह अमरकोट की राजकुमारी नेतल से तय हुआ। नेतल को रामदेव ने डाकुओं के चंगुल से छुड़ाया था। नेतल न तभी से रामदेव को वर लिया था और कृष्ण-रूप रामदेव की राधा-रूप नेतल चारों पहर उन्हीं के ध्यान में मग्न रहती थी।
बहन सुगना का विवाह विवाह बहुत दूर पूँगलगढ़ में हुआ था। सास, नणद, सब कोई उसे बहुत तंग करते थे। वे उसे रामदेव की शादी पर भी नहीं भेज रहे थे। जब वह जबर्दस्ती जाने लगी तो सास ने उसे श्राप दिया।
रामदेव जब विवाह करके लौटे तो सुगना उनकी आरती नहीं उतार रही थी। रामदेव बड़े आश्चर्य में पड़े। मालूम हुआ कि भाणू को सांप काट खाया है। रामदेव के चमत्कार से भाणू फिर जीवित हो उठा।
रामदेव की परम भक्त डाली को कुंभेश्वर ने बहुत कष्ट दिये। डाली पोकरण छोड़ कर चली गई। रामदेव भी अपनी भक्त के साथ चल दिये। नेतल को अहंकार आ गया था, वह नहीं गई। रामदेव एक नगरी बसाई-रूणेचा। राज तिलक के समय डाली गई और महारानी नेतल को मना लाई।
रूणेचा एक आदर्श नगर बना। वहाँ ऊँच-नीच का कोई भेद-भाव नहीं था। मक्का पांच पीर आये और रामदेव के चमत्कार देखकर उन्हें पीर का खिताब दे गये। प्रजा की सेवा करना ही रामदेव का लक्ष्य था।
जब रामदेव अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर चुके तो उन्होंने समाधि ले ली। माँ, बाप, भाई, बहन, सब को रोते छोड़ कर वे चले गये। डाली ने भी उनके पास ही समाधि ग्रहण की। नेतल ने रामदेव का मंदिर बनाया और समाधि में अन्तध्र्यान हो गई।
रामदेव ने क्या क्या चमत्कार दिखाये?
कुंभेश्वर ने क्या कांटे बिखेरे?
रामदेव ने कौनसा नया मार्ग दिखाया?
यह सब इस भव्य, चमत्कारपूर्ण, संगीत-प्रधान, भक्तिमय और ओजस्वी चल-चित्र में देखिये।
(From the official press booklet)